
प्रिय मित्रो,
मेरे माहियों पर आपकी टिप्पणियों के लिए ह्रदय से आभार… इस बार अगस्त माह जो देश प्रेम की महक लेकर आता है, को देखते हुए अपने दो गीत आपसे सांझा कर रहा हूँ… आपकी मूल्यवान टिप्पणियों की हमेशा की तरह प्रतीक्षा रहेगी…
-लक्ष्मी शंकर वाजपेयी
एक

सर झुकाता है तुमको वतन…
जिंदगी सामने थी खड़ी
लेके सौगातें कितनी बड़ी
सबको ठोकर लगा चल दिए
मौत का हंस के करने वरण
अपने पूरे ही परिवार के
तुम ही खुशियों के आधार थे
इक वतन की खुशी के लिए
हर खुशी तुम ने कर दी हवन
जो उठाई थी तुमने क़सम
देश की आन रक्खेंगे हम
अपने प्राणों की बाज़ी लगा
खूब तुमने निभाया वचन
अपने लहू से तुमने लिखा
इक महाकाव्य बलिदान का
पीढ़ियों तक जो सिखलाएगा
जीने मरने का सबको चलन ...
दो
माँ की ममता, फूल की खुशबू, बच्चे की मुस्कान का
सिर्फ़ मोहब्बत ही मज़हब है हर सच्चे इंसान का

पेड़ नहीं पूछे है किस मज़हब से तेरा नाता है
धूप गुनगुनाहट देती है चाहे जिसका आँगन हो
जो भी प्यासा आ जाता है, पानी प्यास बुझाता है
मिट्टी फसल उगाये पूछे धर्म न किसी किसान का ...
ये श्रम युग है जिसमे सबका संग-संग बहे पसीना है
साथ-साथ हंसना मुस्काना संग-संग आंसू पीना है
एक समस्याएँ हैं सबकी जाति धर्म चाहे कुछ हो
सब इंसान बराबर सबका एक सा मरना जीना है
बेमानी हर ढंग पुराना इंसानी पहचान का ...
किसी प्रांत का रहनेवाला या कोई मज़हब वाला
कोई भाषा हो कैसी भी रीति रिवाजों का ढाला
चाहे जैसा खान-पान हो रहन सहन पहनावा हो
जिसको भी इस देश की मिट्टी और हवाओं ने पाला
है ये हिन्दुस्तान उसी का और वो हिन्दुस्तान का
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14 comments:
किसी प्रांत का रहनेवाला या कोई मज़हब वाला
कोई भाषा हो कैसी भी रीति रिवाजों का ढाला
चाहे जैसा खान-पान हो रहन सहन पहनावा हो
जिसको भी इस देश की मिट्टी और हवाओं ने पाला
है ये हिन्दुस्तान उसी का और वो हिन्दुस्तान का
Ek se badhke ek rachnayen hain dono!
जिसको भी इस देश की मिट्टी और हवाओं ने पाला
है ये हिन्दुस्तान उसी का और वो हिन्दुस्तान का
bahut sunder pangti hai......
बहुत ही सुंदर रचनाएँ पेश की हैं. आभार.
देश प्रेम से जुड़े दोनों गीत बढ़िया बने हैं... स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं
वाह..क्या खूब लिखा है आपने।
desh-prem se jude aapke dono geet bahut hee gehra prabhav chhodte hain tatha har bharat wasi ko ek achchha sandesh dete hain,in geeton ko padvane ke liye mai aapka aabhar vaykt karta hoon.
प्रिय भाई लक्ष्मीशंकर जी,
आपके दोनों गीतों नें अभिभूत कर दिया..देशप्रेम के गीत अब प्रायः देखने सुनाने में नहीं आते लेकिन जो पुराने गीत हैं उन्होंने अपनी भाव तीव्रता नहीं खोई है. इन गीतों की भावना और आपकी प्रतिभा को नमन.
इसी क्रम में एक दुःख का भी साझा करना चाहता हूँ. जिस तरह से प्रशासन, राजनैतिक और व्यवस्थात्मक स्तर पर देश प्रेम की भावना विलुप्त
हो रही है, वह बहुत बड़ी चिंता का विषय है. देश प्रेम के गीत हमेशा लोक स्वर में उपजते हैं और सच यह है कि सत्ता और राजनैतिक परिवेश ने जन के चित्त-मन से देश प्रेम का आकर्षण पूरी तरह मिटा दिया है.
निश्चित रूप से आप अपवाद हैं और इस लिए एक बार पुनः प्रणाम.
अशोक गुप्ता
मोबाइल 09871187875
सशक्त सोच, आत्मीय अभिव्यक्ति और तरल भावना से समृद्ध दोनों गीत अच्छे लगे।
धन्यवाद वाजपेयी जी । दूसरा गीत तो पहले से भी अच्छा हॆ । बधाई ।
Bajpeiji bahut achchhe geet lage..
Inhen schooli bachchon tak bhi pahunchna chahiye taaki ye koras main gaaye jaayen baar baar..
meri badhai
Hareram Sameep
आदरणीय वाजपेयी जी
दोनों ही गीत सामयिक और सुंदर हैं । बधाई।
प्रणाम !
देरी से प्रतिक्रिया के लिए क्षमा !
आपके गीतों में देशभक्ति का जो ज़ज्बा है , उसे सलाम , आप बहुत अच्छा लिखते है .. दिल से बधाई स्वीकार करे. !~सभी गीत अपने आप में बेमिसाल है , बधाई म साधुवाद
सादर
प्रणाम !
देरी से प्रतिक्रिया के लिए क्षमा !
आपके गीतों में देशभक्ति का जो ज़ज्बा है , उसे सलाम , आप बहुत अच्छा लिखते है .. दिल से बधाई स्वीकार करे. !~सभी गीत अपने आप में बेमिसाल है , बधाई म साधुवाद
सादर
अपने पूरे ही परिवार के
तुम ही खुशियों के आधार थे
इक वतन की खुशी के लिए
हर खुशी तुम ने कर दी हवन
dono kavitaye achchi hai.
pavitra agrawal
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