Sunday, October 31, 2010

कविताएँ

मित्रो, आपने ब्लॉग की दुनिया में मेरे ब्लॉग का जिस प्रकार से स्वागत किया, उसके लिए मैं आप सबका हृदय से आभारी हूँ। पिछले दिनों मेरी यू.के. यात्रा एवं राष्ट्र्मंडल खेलों आदि के चलते मेरे इस ब्लॉग की दूसरी पोस्टिंग में काफ़ी विलम्ब हुआ, इसके लिए मैं क्षमा-प्रार्थी हूँ। भविष्य में अपने इस ब्लॉग की निरंतरता बनाए रखने का भरसक प्रयास करूँगा।

आप सबकी शुभकामनाओं से मुझे लंदन में अंतर्राष्ट्रीय वातायन कविता सम्मान मिला और मेरी कविताओं पर केन्द्रित एक शाम का आयोजन हुआ। ये भी खुशी की बात है कि यू.के. के लगभग एक दर्जन शहरों में कवि-सम्मेलनों का आयोजन हुआ और हिंदी अंतर्राष्ट्रीय-क्षितिज पर अपने पंख निरंतर फैलाती जा रही है।

मैं अपनी कुछ छोटी कविताओं के साथ इस बार आपसे रू-ब-रू हूँ। आशा करता हूँ कि ये आपको पसन्द आएंगी और आप अपनी राय से मुझे अवगत कराएंगे।
आप सभी को ज्योति-पर्व दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ…


॥एक॥
मेरी सबसे बड़ी चिंता
अपनी बेटी के भविष्य को लेकर है
मेरा बेटा तो हमेशा खेलता है
पिस्तौल, स्टेनगन, मशीनगन से
रचाता है युद्ध, करता है बमवर्षा
लेकिन अपनी बेटी का क्या करूँ
वो हमेशा गुड़ियों से खेलती है…

॥दो॥
कमरे में सजी
तुम्हारी बड़ी-सी तस्वीर से कहीं ज्यादा
परेशान करती हैं !
बाथरूम में चिपकी
तुम्हारी छोटी-छोटी बिन्दियाँ…

॥तीन॥
उन सारी प्रार्थनाओं का मतलब क्या है
जिनके होते हुए भी
वही सब होता रहे
जिसके न होने के लिए की जाती हैं प्रार्थनाएँ
मैं एक कोशिश और करता हूँ
ओ प्रार्थनाएँ सुनने वालो
और करता हूँ प्रार्थना
कि प्रार्थनाएँ कभी बेकार न हों…

॥चार॥
अच्छा-भला आदमी था
सीधा-सादा, बाल-बच्चेदार, घर-गृहस्थ
कुछ नारे उसे हांक कर भीड़ में ले गए
और उसे भी क्या सूझी
कि अचानक आदमी से भीड़ में बदल गया
और भीड़ का सैलाब थमने के बाद
उसने पाया अपने आप को
एक अस्पताल के मुर्दाघर में
अपने पहचाने जाने का इंतज़ार करते हुए…

॥पाँच॥
कीड़े ! गंदगी की तलाश में
चौबीसों घंटे भटकते हैं जी-जान से
वे हर तरफ़ सूंघते हैं गंदगी
वे जाने कहाँ-कहाँ से ढूँढ़-ढूँढ़ कर लाते हैं गंदगी
उनमें होड़ है
कि कौन कितनी बड़ी गंदगी बटोर कर लाए
और कितनी चमक के साथ
परोस दे पूरे देश को
कुछ ढूँढ़ते हैं रंगीन गंदगी
कुछ ढूँढ़ते हैं संगीन गंदगी
उनका मानना है कि हर इंसान में एक कीड़ा बसता है
और इस कीड़े को जतन से पाला जाए
तो अच्छा-भला इंसान भुला सकता है अपनी इंसानियत
अख़बारों की सुर्ख़ियाँ बताती हैं
कि कीड़े अपनी कोशिशों में कामयाब होने लगे हैं…
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